स्वामी चैतन्यानंद का रहस्य: शिक्षा और आध्यात्म के पीछे का खेल

दिल्ली के SRISIIM संस्थान में EWS छात्राओं को फंसाने, देर रात मैसेज भेजने और मानसिक प्रताड़ना के आरोपों ने बाबा की असलियत उजागर कर दी।

भुवनेश्वर: ओडिशा के एक साधारण परिवार से निकले स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती ने खुद को अध्यात्म, शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में स्थापित करने का दावा किया. किताबें लिखीं, प्रवचन दिए और दिल्ली तक प्रभाव फैलाया. लेकिन अब उनके खिलाफ सामने आए आरोपों ने पूरे सिस्टम को हिला दिया है. सवाल उठ रहा है कि कैसे एक बाबा ने शिक्षा के संस्थान को शोषण और धोखाधड़ी का अड्डा बना डाला?

किताबों की आड़ में धोखा

स्वामी चैतन्यानंद ने लगभग 28 किताबें लिखीं, जिनमें Forget Classroom Learning जैसी पुस्तकें भी शामिल हैं. दावा किया गया कि इनकी प्रस्तावना स्टीव जॉब्स जैसे नामी हस्तियों ने लिखी, जबकि जांच में ये बातें फर्जी निकलीं. किताबों और व्याख्यानों के जरिए उन्होंने खुद को दार्शनिक और गुरु साबित किया, लेकिन असल मकसद छात्राओं को अपने जाल में फंसाना था.

SRISIIM संस्थान में घुसपैठ

दिल्ली के SRISIIM संस्थान में उनका प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ा. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की लड़कियों को मुफ्त शिक्षा और विदेश में पढ़ाई के सपने दिखाकर भर्ती कराया गया. जैसे ही वे हॉस्टल में शिफ्ट हुईं, उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव शुरू हो गया. स्टाफ को भी शामिल कर स्वामी ने संस्थान के पूरे सिस्टम पर पकड़ बना ली.

देर रात मैसेज और धमकियां

छात्राओं ने खुलासा किया कि देर रात उन्हें स्वामी चैतन्यानंद से अश्लील और धमकी भरे मैसेज आते थे. सहमति के बिना नाम बदलना, विरोध करने पर गाली-गलौज करना और मानसिक प्रताड़ना देना उसकी रणनीति का हिस्सा था. व्हाट्सऐप और SMS चैट्स के 300 पन्नों के सबूत अब पुलिस और फोरेंसिक टीम के पास हैं.

छात्राओं की पीड़ा और जांच

पीड़ित छात्राओं का कहना है कि वे लंबे समय तक डर के साए में जीती रहीं. उनके मुताबिक, शिक्षा और अध्यात्म का ढोंग रचकर स्वामी ने संस्थान को एक भय और शोषण का केंद्र बना दिया. वायु सेना मुख्यालय को भेजी गई शिकायत से इस पूरे मामले की जांच शुरू हुई है. डिजिटल सबूतों की जांच चल रही है और पुलिस ने कई अहम कड़ियां अपने कब्जे में ली हैं.

निष्कर्ष:
यह मामला न सिर्फ एक बाबा के दोहरे चेहरे को उजागर करता है, बल्कि शिक्षा संस्थानों में निगरानी और पारदर्शिता की कमी पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है. अब देखना यह होगा कि न्याय व्यवस्था किस तरह इस केस को अंजाम तक पहुंचाती है.

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