उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: एनडीए का दांव, सी. पी. राधाकृष्णन मैदान में


एनडीए का बड़ा ऐलान, महाराष्ट्र के राज्यपाल को उपराष्ट्रपति चुनाव में उतारा
भारत की राजनीति में 17 अगस्त 2025 का दिन एक यादगार तारीख बन गया है।एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस खबर ने जैसे ही तूल पकड़ा, देशभर की राजनीतिक हलचल बहुत तेज़ हो गई, जिसके बाद अब हर किसी की निगाहें उपराष्ट्रपति चुनाव पर टिक गई हैं।
क्यों है यह फैसला अहम?
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का यह फैसला केवल एक नाम की घोषणा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है।
आपको बता दें कि राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं। तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी अभी अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटी है।
उनकी साफ़-सुथरी छवि और संगठनात्मक अनुभव उन्हें विपक्ष के लिए भी “गैर-विवादास्पद” उम्मीदवार बनाते हैं।
यह दक्षिण भारत के मतदाताओं को जोड़ने की दिशा में बीजेपी की दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
उपराष्ट्रपति चुनाव का कैलेंडर
- नामांकन की तारीख: 21 अगस्त 2025
- नामांकन पत्रों की जाँच: 22 अगस्त 2025
- नाम वापसी की तारीख: 25 अगस्त 2025
- मतदान (यदि ज़रूरत पड़ी): 9 सितंबर 2025, संसद भवन में
कौन हैं सी. पी. राधाकृष्णन?
- जन्म: 20 अक्टूबर 1957, तिरुपूर (तमिलनाडु)
- शिक्षा: B.B.A.
- राजनीतिक शुरुआत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव, 1974 में जनसंघ राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने।
- 1998 और 1999 में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद बने।
- संसदीय समितियों में सक्रिय भूमिका—टेक्सटाइल, PSU और स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जाँच तक में भागीदारी।
व्यक्तिगत जीवन
सी. पी. राधाकृष्णन का व्यक्तित्व सरलता और जमीनी स्तर से जुड़ा हुआ है।
पारिवारिक जीवन में उनकी पत्नी र. सुमथी और दो संतानें हैं, जो उनके जीवन का अहम हिस्सा हैं।
अनुभवी प्रशासक
श्री राधाकृष्णन झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं और उन्हें तेलंगाना व पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। 31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल का पदभार संभाला।
समर्पित जनसेवक
40 से अधिक वर्षों के राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। वह दो बार सांसद रह चुके हैं, भाजपा के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष और कॉयर बोर्ड के चेयरमैन भी रहे हैं।
जमीनी नेतृत्व
उन्होंने अपना राजनीतिक सफर आरएसएस स्वयंसेवक के रूप में शुरू किया।
संगठनात्मक स्तर पर ऊपर उठते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक यात्राओं और अभियानों का नेतृत्व किया, जिनके माध्यम से वे सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर जनता से सीधे जुड़े।