नया कानून: मोदी सरकार का बड़ा हथियार या विपक्ष की नई तकरार?


“संसद में प्रस्तावित कानून पर शुरू हुई सियासी जंग, सरकार ने बताया ज़रूरी, विपक्ष बोला—लोकतंत्र पर वार”
संशोधित और शुद्ध संस्करण
20 अगस्त 2025, बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश किए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है संविधान (130वाँ संशोधन) विधेयक, 2025, जिसके ज़रिए यह प्रावधान किया गया है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध के आरोप में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद से हटाना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही अमित शाह ने केंद्र शासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 भी सदन में प्रस्तुत किए। चर्चा के बाद ये तीनों विधेयक संयुक्त समिति को भेजे गए।

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक के प्रावधान
- यदि कोई मंत्री किसी अपराध में गिरफ्तार होता है जिसकी सज़ा 5 साल या उससे अधिक है और वह 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उपराज्यपाल उसे मुख्यमंत्री की सलाह पर पद से हटा देंगे।
- यदि मुख्यमंत्री ऐसी सलाह नहीं देते, तो संबंधित मंत्री का पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।
- मुख्यमंत्री स्वयं यदि ऐसे आरोपों में 30 दिन तक हिरासत में रहते हैं और समय पर इस्तीफ़ा नहीं देते, तो उनका पद भी स्वतः रिक्त हो जाएगा।
विपक्ष का विरोध
विपक्षी नेताओं ने इन विधेयकों की कड़ी आलोचना की और इसे असंवैधानिक, लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ और केंद्र द्वारा विपक्षी राज्यों को अस्थिर करने का प्रयास बताया।
विपक्ष के आरोप:
- यह कदम शक्तियों के पृथक्करण को कमजोर करता है।
- न्यायपालिका को दरकिनार करने की कोशिश है।
- इससे भारत को एक ‘पुलिस राज्य’ बनाने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है।
- केंद्र सरकार इस प्रावधान का उपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए कर सकती है।
सत्ता पक्ष के सांसदों का बयान
भाजपा सांसद मनन कुमार मिश्रा का बयान
“इस बिल को लेकर कोई ध्यान भटकाने का प्रयास नहीं है। विपक्ष के लोग केवल जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं। सरकार एक महत्त्वपूर्ण बिल पेश कर रही है।”
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल का बयान
“संसद में हुई घटनाएँ साफ तौर पर गुंडागर्दी थीं। कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने विधेयकों की प्रतियां फाड़ी और स्पीकर की ओर फेंकी। टीएमसी और कांग्रेस के अन्य सांसद वेल में आ गए और लड़ाई करने पर अड़े रहे। इसकी जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है। स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
विपक्ष के सांसदों का बयान
असदुद्दीन ओवैसी का विरोध
“यह विधेयक शक्तियों का उल्लंघन करता है और जनता के चुनी हुई सरकार बनाने के अधिकार को कमजोर करता है। इससे कार्यपालिका को खुली छूट मिल जाएगी कि, वे मामूली आरोपों और संदेह के आधार पर ही जज और जल्लाद बन जाएँ। यह सरकार हर हाल में भारत को ‘पुलिस स्टेट’ बनाने पर तुली हुई है।”
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला का बयान
“विपक्ष को आशंका है कि इसमें विपक्ष के सीएम और मंत्रियों को ही परेशान किया जाएगा और उन्हें पद से हटाने की कोशिश होगी।”
राजद नेता मनोज झा का बयान
“इस से अभियुक्त और दोषी का फर्क मिट गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने ईडी को लेकर टिप्पणी की थी कि आप राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं। मुझे लगता है कि यह एक तरीका है कि जहां आप चुनाव नहीं जीत सकते, वहां आप सरकार को अस्थिर कर दीजिए।”
प्रशांत किशोर का बयान
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने आपने बयान में कहा –
“यह बिल इसलिए लाया गया क्योंकि जब संविधान बना था तब शायद किसी ने यह सोचा नहीं होगा कि सत्ता में बैठे लोग इतने भ्रष्ट हो जाएंगे कि उन्हें जेल जाना पड़ेगा। मेरी समझ से यह बिल्कुल सही है कि यदि आप पर गंभीर आरोप हैं और आप जेल जा रहे हैं, तो जेल में बैठकर सत्ता नहीं चला सकते।”