चंडीगढ़ विवाद पर केंद्र का स्पष्ट जवाब: बदलाव की कोई योजना नहीं

गृह मंत्रालय ने कहा— चंडीगढ़ पर नया विधेयक लाने की फिलहाल कोई योजना नहीं, सभी पक्षों की सहमति के बिना कोई कदम नहीं उठेगा।

चंडीगढ़ से जुड़े विधेयक को लेकर पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से राजनीतिक बयानबाज़ी और आशंकाएं बढ़ रही थीं, उस पर केंद्र सरकार ने अब स्पष्ट और आधिकारिक जवाब दे दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ प्रशासन से संबंधित किसी भी नए विधेयक को लाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि केंद्र सिर्फ संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने पर विचार कर रहा है, लेकिन इसका शहर की प्रशासनिक संरचना पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

गृह मंत्रालय के अनुसार, चंडीगढ़ की मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा रहा है, और इसे पंजाब या हरियाणा के अधिकारों से जुड़ी किसी बहस की दिशा में पढ़ना बिल्कुल गलत है। मंत्रालय ने यह भी आश्वासन दिया कि किसी भी प्रकार का कदम सभी संबंधित पक्षों की सहमति के बिना आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि हाल के दिनों में पंजाब की आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अकाली दल ने केंद्र पर चंडीगढ़ की मौजूदा स्थिति से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था।

पंजाब के कई नेताओं ने कहा था कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और इसके प्रशासन में किसी बदलाव से राज्य के अधिकारों का हनन होगा। दूसरी ओर हरियाणा के राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर अपनी चिंताएं लगातार जाहिर कर रहे थे। ऐसे में गृह मंत्रालय का यह स्पष्टीकरण राजनीतिक तनाव को कम कर सकता है।

सरकार ने कहा कि न तो चंडीगढ़ की संरचना में बदलाव की कोई योजना है और न ही किसी पक्ष को इससे चिंतित होने की जरूरत है। मंत्रालय का संदेश साफ रहा— “यह केवल विचार स्तर तक सीमित है, निर्णय स्तर तक नहीं।”

यह स्पष्ट बयान पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ती तल्खी को कम कर सकता है और चंडीगढ़ की वर्तमान स्थिति पर चल रही अफवाहों पर भी विराम लगा सकता है। अब उम्मीद है कि इस आधिकारिक जवाब के बाद राजनीतिक माहौल कुछ शांत होगा और अनिश्चितता की स्थिति भी काफी हद तक कम हो जाएगी।

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