बिहार कांग्रेस में उठी राजेश राम को हटाने की मांग, नेता दिल्ली रवाना

बिहार चुनाव 2025 के नतीजों के बाद राजनीतिक दलों में हलचल, जन सुराज ने सभी समितियाँ भंग कीं

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो चुका है और नतीजे आने के बाद राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। इस चुनाव में सभी दलों ने पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरकर जोरदार प्रचार किया, लेकिन अंतिम परिणाम एनडीए के पक्ष में गया। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि कई दलों का सूपड़ा साफ हो गया। चुनाव के आठ दिन बाद अब राजनीतिक दलों पर इसका असर साफ दिखने लगा है।

इस चुनाव को प्रशांत किशोर और उनकी नई पार्टी ‘जन सुराज’ के लिए पहली बड़ी परीक्षा माना जा रहा था। पार्टी ने प्रदेश की 243 में से 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और आक्रामक प्रचार अभियान चलाया। प्रशांत किशोर की छवि और जनसंपर्क मॉडल के बावजूद, जन सुराज शुरुआती उत्साह को वोटों में बदलने में नाकाम रही। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। चुनाव परिणाम के बाद जन सुराज ने पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक की सभी समितियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। पार्टी ने घोषणा की है कि अगले डेढ़ महीने में संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा।

इधर, राजद खेमे में भी हलचल है। महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में प्रचारित तेजस्वी यादव अब तक सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए हैं, जिसके चलते वे विरोधी दलों के निशाने पर हैं। वहीं कांग्रेस में चुनावी हार का साइड इफेक्ट खुलकर सामने आ गया है। कांग्रेस का असंतुष्ट गुट प्रदेश नेतृत्व को हटाने की मांग के साथ खुलकर विरोध जता रहा है। दो दिन पहले प्रदेश कार्यालय के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। बताया जा रहा है कि असंतुष्ट खेमे का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर हाईकमान से मुलाकात करेगा और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को हटाने की औपचारिक मांग करेगा। इन नेताओं ने टिकट वितरण में गड़बड़ी और टिकट बेचने के आरोप भी लगाए हैं।

उधर, प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने 43 असंतुष्ट नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि इस चुनाव में भाजपा ने 89 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि राजद केवल 25 सीटें जीत पाई। कांग्रेस को मात्र छह सीटों पर संतोष करना पड़ा।

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