संचार साथी ऐप विवाद: सिंधिया का स्पष्टीकरण, कॉल मॉनिटरिंग नहीं होगी

संचार साथी ऐप विवाद: सिंधिया का स्पष्टीकरण, प्रियंका गांधी ने फिर जताई चिंता

नई दिल्ली: मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को लेकर उठे विवाद में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया है कि इस ऐप का उद्देश्य केवल नागरिकों को धोखाधड़ी, ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर अपराध से बचाना है, न कि किसी की जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग करना।

सिंधिया ने कहा, “यदि कोई उपयोगकर्ता ऐप का इस्तेमाल करना चाहता है तो उसे एक्टिवेट करें, अगर नहीं चाहता तो एक्टिवेट करने की जरूरत नहीं है। यह अनिवार्य नहीं है। आप चाहें तो इसे अपने फोन से डिलीट भी कर सकते हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि यह ऐप लोगों तक पहुंचे ताकि वे धोखाधड़ी और साइबर अपराध से सुरक्षित रह सकें।”

हालांकि, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस ऐप को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नए मोबाइल में यह ऐप पहले से मौजूद होने के कारण यह नागरिकों की निजता में हस्तक्षेप कर सकता है। प्रियंका गांधी ने इसे ‘जासूसी ऐप’ करार देते हुए कहा कि सरकार देश को हर रूप में तानाशाही की ओर ले जा रही है।

प्रियंका गांधी ने संसद परिसर में मीडिया से बातचीत में कहा, “संचार साथी ऐप नागरिकों की प्राइवेसी का उल्लंघन कर सकता है। हर व्यक्ति को अधिकार होना चाहिए कि वह सरकार की नजर के बिना परिवार और दोस्तों को संदेश भेज सके। संसद का कामकाज इसलिए बाधित हो रहा है क्योंकि सरकार किसी भी विषय पर चर्चा से बच रही है।”

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहस और संवाद जरूरी है, लेकिन सरकार विपक्ष के सवालों को दबाकर फैसले थोप रही है। प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने और नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा में घुसने के बीच बड़ी बारीक रेखा है। “साइबर सुरक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर नागरिक के फोन में नजर रखी जाए। कोई भी नागरिक इस बात से खुश नहीं होगा।”

सिंधिया और प्रियंका गांधी के बयान इस मुद्दे पर जारी बहस को और तीखा कर रहे हैं। एक ओर सरकार सुरक्षा के लिए ऐप की आवश्यकता बता रही है, वहीं विपक्ष नागरिकों की निजता और लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन की चेतावनी दे रहा है।

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