भारत–रूस ने 2 बिलियन डॉलर न्यूक्लियर सबमरीन डील पर किया ऐलान
भारत–रूस के बीच 2 बिलियन डॉलर की न्यूक्लियर सबमरीन डील तय, 2027 तक मिल सकती है डिलीवरी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले दोनों देशों के रक्षा सहयोग को लेकर एक बड़ी प्रगति सामने आई है। लंबे समय से चर्चा में चल रही न्यूक्लियर सबमरीन डील को भारत और रूस ने आखिरकार हरी झंडी दे दी है। करीब 2 बिलियन डॉलर यानी लगभग 16,700 करोड़ रुपये की इस डील पर दोनों देश सहमत हो चुके हैं। भारतीय अधिकारियों का दल अगले साल नवंबर में रूस के एक शिपयार्ड का दौरा करेगा, जहां इस पनडुब्बी का निर्माण और तैयारियां चल रही हैं।
2027 तक भारत के बेड़े में शामिल हो सकती है नई न्यूक्लियर सबमरीन
सूत्रों के अनुसार, उम्मीद जताई जा रही है कि यह परमाणु पनडुब्बी भारत को अगले दो वर्षों के भीतर मिल सकती है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी के अनुसार, भारत चाहता है कि यह सबमरीन वर्ष 2027 तक नौसेना के फ्लीट में शामिल हो जाए। यह भारत को रूस से मिलने वाली दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन होगी। इससे पहले आईएनएस चक्र को 2012 में रूस से 10 साल की लीज पर हासिल किया गया था।
क्यों बढ़ी पाकिस्तान और चीन की चिंता?
परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां सामान्य डीज़ल–इलेक्ट्रिक सबमरीन की तुलना में कहीं अधिक सक्षम और घातक होती हैं। ये ज्यादा समय तक पानी के अंदर छिपी रह सकती हैं, बेहद कम शोर करती हैं और इनका पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। हिंद–प्रशांत क्षेत्र में इनकी मौजूदगी चीन की चिंताओं को बढ़ाने वाली है, क्योंकि भारत अब समुद्री निगरानी और रणनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है। वर्तमान में भारत 17 डीज़ल–इलेक्ट्रिक सबमरीन का संचालन करता है।
भारत खुद भी बना रहा है परमाणु अटैक सबमरीन
भारत केवल विदेशी सहयोग पर निर्भर नहीं है, बल्कि अपनी तकनीक से परमाणु ऊर्जा चालित अटैक सबमरीन बनाने पर भी काम कर रहा है। इस तरह की पनडुब्बियां दुश्मन की पनडुब्बियों और सतह पर मौजूद युद्धपोतों पर हमला करने की क्षमता रखती हैं। दुनिया में सिर्फ अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के पास ही लंबे समय से ऐसी एडवांस तकनीक थी। अब भारत भी इस एलीट क्लब में मजबूत दावेदारी कर रहा है। दक्षिण कोरिया भी वर्तमान में अमेरिका के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहा है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दो और परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियां बनाने की प्रक्रिया भी आगे बढ़ा चुका है। इसके अलावा, भारतीय नौसेना की तीसरी बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन भी अगले वर्ष फोर्स में शामिल होने की संभावना है।

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संजना झा पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव रखती हैं। वर्तमान में वह हिंदी माइक में बतौर असिस्टेंट एडिटर कार्यरत हैं। उन्हें समसामयिक घटनाएँ, राजनीति एवं लाइफस्टाइल जैसे विषयों में गहरी समझ और लेखन का व्यापक अनुभव प्राप्त है। अपनी खोजपरक दृष्टि, तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विषयों की गहराई तक पहुंचने की शैली के लिए वह जानी जाती हैं।
ज्वाइनिंग डेट: 16 अगस्त 2025

