पुजारा ने कहा इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा, जानें कैसा रहा करियर

चेतेश्वर पुजारा बल्लेबाजी करते हुए – भारतीय टेस्ट क्रिकेट की नई दीवार

चेतेश्वर पुजारा, जिन्हें “दीवार 2.0” कहा जाता है, ने टेस्ट क्रिकेट में 100+ मैच और 7000+ रन बनाए। जानें उनका टेस्ट, वनडे और IPL करियर, खास उपलब्धियाँ और सन्यास की कहानी।

भारतीय क्रिकेट में जब भी धैर्य और तकनीक की बात होती है, तो सबसे पहले राहुल द्रविड़ का नाम लिया जाता है। लेकिन उनके बाद इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले खिलाड़ी हैं चेतेश्वर पुजारा। उन्हें अक्सर “दीवार 2.0” कहा जाता है क्योंकि उनकी बल्लेबाजी शैली लंबी पारी खेलकर विपक्षी गेंदबाजों को थका देने वाली है।

टेस्ट करियर

चेतेश्वर पुजारा ने अपना टेस्ट डेब्यू 9 अक्टूबर 2010 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बैंगलोर में किया।

चेतेश्वर अपने करियर में 100 से अधिक टेस्ट मैच खेले।

उनके बल्ले से 7000 से ज्यादा रन निकले। औसत लगभग 43 के आसपास रहा।

उन्होंने 19 से अधिक टेस्ट शतक और कई डबल सेंचुरी लगाई।

चेतेश्वर पुजारा का 2018-2019 के ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज़ में सबसे ज्यादा योगदान देखा को मिला, जहां उन्होंने 3 शतक लगाकर भारत को पहली बार ऑस्ट्रेलिया की धरती पर सीरीज़ जिताने में अहम भूमिका निभाई। उस सीरीज़ में पुजारा ने 521 रन बनाए और मैन ऑफ द सीरीज़ रहे।

टी20 करियर

पुजारा ने अब तक भारत की तरफ से एक भी T20 इंटरनेशनल मैच नहीं खेला। हालांकि, उन्होंने IPL में कोलकाता नाइट राइडर्स, किंग्स इलेवन पंजाब, राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपरकिंग्स जैसी टीमों के साथ खेला है, लेकिन उनकी सफलता यहाँ सीमित रही।

खास उपलब्धियाँ

2012 में इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में 206 रनों की डबल सेंचुरी

2018-19 ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज़ – 3 शतक और 521 रन।

100वां टेस्ट खेलने वाले चुनिंदा भारतीय बल्लेबाजों में शामिल।

घरेलू क्रिकेट (सौराष्ट्र) में लगातार रन बनाने का रिकॉर्ड।

सन्यास (Retirement)

चेतेश्वर पुजारा ने 2025 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर दी। उन्होंने अपने विदाई संदेश में कहा कि भारतीय टीम के लिए खेलना उनके जीवन का सबसे बड़ा गर्व है। पुजारा ने अपने पूरे करियर में टेस्ट क्रिकेट की असली भावना को जीवित रखा और भारतीय क्रिकेट में एक मजबूत “दीवार” बनकर याद किए जाएंगे।

निष्कर्ष

चेतेश्वर पुजारा का नाम भारतीय क्रिकेट इतिहास में उन खिलाड़ियों के रूप में दर्ज होगा, जिन्होंने धैर्य, तकनीक और क्लासिक बल्लेबाजी को जिंदा रखा। उन्होंने साबित किया कि टेस्ट क्रिकेट में अब भी “धैर्य ही सबसे बड़ा हथियार” है। भले ही उन्हें वनडे और टी20 में मौका कम मिला, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी गिनती महान खिलाड़ियों में हमेशा होगी।

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