दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार ने कड़े नियम लागू किए

PUCC अनिवार्य, पुराने वाहनों और निर्माण गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध, जनता से सहयोग की अपील

दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है, और राजधानी में लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इस स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त निर्णय किए हैं। पर्यावरण संरक्षण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि इन कदमों का उद्देश्य दिल्ली की हवा को साफ करना और नागरिकों की सेहत को सुरक्षित रखना है।

सरकार ने 18 दिसंबर से पेट्रोल पंपों पर उन वाहनों को ईंधन देने से रोकने का निर्णय लिया है, जिनके पास वैध पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUCC) सर्टिफिकेट नहीं होगा। इस नियम की निगरानी कैमरों के माध्यम से की जाएगी और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। इसके अलावा, दिल्ली में प्रवेश करने वाले दूसरे राज्यों के निजी वाहनों पर भी कड़े नियम लागू होंगे। बीएस-VI से नीचे के वाहनों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

निर्माण गतिविधियों से होने वाले धूल प्रदूषण पर भी सख्ती दिखाई गई है। ईंट, रेत, सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री के परिवहन पर रोक लगाई गई है। नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मंत्री सिरसा ने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा बढ़ाए गए प्रदूषण के स्तर की जिम्मेदारी वर्तमान सरकार पर नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

सरकार ने अब तक राजधानी के लैंडफिल साइट्स की ऊंचाई कम की है और लगभग 8,000 उद्योगों को कड़े प्रदूषण मानकों के तहत लाया गया है। लकड़ी जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए 10,000 हीटर वितरित किए गए हैं। इसके अलावा, बैंक्वेट हॉल्स में डीजे के इस्तेमाल पर भी नियंत्रण लागू किया गया है।

दिल्ली में वर्तमान में AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 380 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। सरकार ने नागरिकों से सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने और अनावश्यक वाहन इस्तेमाल से बचने का अनुरोध किया है। मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ये कदम 18 दिसंबर से प्रभावी होंगे और भविष्य में स्थिति के अनुसार और कड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।

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