अफगानिस्तान में भीषण भूकंप, 800 से अधिक की मौत


PM मोदी ने जताया शोक, राहत कार्य जारी – मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका
अफगानिस्तान एक बार फिर बड़ी प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ है। रविवार देर रात पाकिस्तान सीमा से सटे पूर्वी इलाक़े में रिक्टर पैमाने पर 6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार इसकी गहराई मात्र 8 किलोमीटर थी, जिसके चलते ज़मीन पर इसका प्रभाव बहुत ज़्यादा देखने को मिला। झटकों का समय रात करीब 11:47 बजे रहा और चंद सेकंडों में कई गाँव मलबे में तब्दील हो गए।
सरकारी आँकड़ों के मुताबिक अब तक 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 2,500 से ज्यादा लोग घायल हैं। अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने पुष्टि की है कि दर्जनों गाँव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं और रेस्क्यू टीमें लगातार राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं। भूकंप के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिनमें इमारतों को हिलते और ढहते देखा जा सकता है।
भारी तबाही और रेस्क्यू अभियान
भूकंप का सबसे गहरा असर कुनार और नंगरहार प्रांतों में देखने को मिला। राजधानी काबुल में भी लोग तेज़ झटकों से दहशत में बाहर निकल आए। अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत ज़मान ने आशंका जताई कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि कई लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हैं। राहत और बचाव टीमों को दूरस्थ इलाक़ों तक पहुँचने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मौके पर पहुँचे स्थानीय लोग और बचाव दलों ने दिल दहला देने वाले नज़ारे बयान किए। एक निवासी ने बताया कि उसका पूरा गाँव खत्म हो गया है, बच्चे और बुज़ुर्ग मलबे के नीचे दबे हुए हैं। वहीं एक अन्य पीड़ित ने रोते हुए कहा कि उसने अपने सामने घर गिरते और परिवार को दबते देखा। “मेरी पत्नी और दो बेटे इस हादसे में चले गए, मैं खुद घंटों तक मलबे में फँसा रहा,” उसने बताया।
पीएम मोदी ने जताया दुख
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा कि “अफगानिस्तान में आए भूकंप से हुई जनहानि से गहरा दुख हुआ। इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएँ पीड़ित परिवारों के साथ हैं। भारत हर संभव मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है।”
लगातार बदल रहा आंकड़ा
विशेषज्ञों का कहना है कि सतह के करीब आने वाले भूकंप अधिक विनाशकारी साबित होते हैं, और यही वजह है कि अफगानिस्तान में इतनी बड़ी तबाही देखने को मिली। राहत एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि कई गाँव अब भी संपर्क से बाहर हैं।
यह त्रासदी अफगानिस्तान की पहले से जूझती हुई जनता के लिए एक और गहरी चोट साबित हुई है। तबाही से प्रभावित लोग अब तत्काल राहत और बाहरी मदद की प्रतीक्षा कर रहे हैं तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की आस लगाए बैठे हैं।