अलास्का में ट्रंप–पुतिन मुलाकात: कभी रूस का हिस्सा, ऐसे बना अमेरिका का


“यूक्रेन युद्ध, कूटनीतिक संभावनाएँ और अलास्का का ऐतिहासिक महत्व बने चर्चा का केंद्र”
अलास्का में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाक़ात हुई। करीब 3 घंटे चली इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन बैठक के बाद भी यूक्रेन युद्ध को लेकर कोई समझौता नहीं हो सका।
बैठक के दौरान हुई मुख्य बातें
- यह मुलाक़ात अमेरिकी सैन्य अड्डे ज्वाइंट बेस एलमेंडॉर्फ–रिचर्डसन पर हुई।
- बैठक खास रही क्योंकि पुतिन 2022 के यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार अमेरिका आए थे।
- दोनों नेताओं ने बैठक के बाद बातचीत को “गर्मजोशी भरा और उपयोगी” बताया, लेकिन पत्रकारों के सवालों से बचते रहे।
- ट्रंप ने कहा, “डील तभी बनेगी जब डील बनेगी।” यानी जब तक पक्का समझौता नहीं होगा, तब तक कुछ भी तय नहीं माना जाएगा।
- पुतिन ने कहा कि, “अगर ट्रंप राष्ट्रपति होते, तो यूक्रेन युद्ध कभी नहीं होता।” इस बयान को दोनों नेताओं के बीच दुर्लभ सामंजस्य माना जा रहा है।
यूक्रेन की स्थिति
- बैठक के बाद भी रूसी मिसाइल और ड्रोन हमले यूक्रेन में जारी रहे।
- यूक्रेन के लिए यह समय बेहद कठिन है, क्योंकि एक ओर युद्ध तेज़ हो रहा है और दूसरी ओर कूटनीतिक समाधान की उम्मीदें नज़र नहीं आ रही हैं।
- यूक्रेन ने कहा कि वह “अस्थायी गठबंधन” का हिस्सा नहीं बनेगा और संतुलन बनाए रखने की कोशिश करेगा।
- राष्ट्रपति जेलेंस्की ने संकेत दिया कि वे जल्द ही ट्रंप से मुलाक़ात करेंगे और त्रिपक्षीय वार्ता के विचार का समर्थन करते हैं।

अलास्का का ऐतिहासिक महत्व
- कभी रूस के अधीन था अलास्का।
- जानकारी के अनुसार, अमेरिका ने 1867 में इसे 7.2 मिलियन डॉलर में खरीदा था। उस समय इस समझौते को “सीवार्ड की गलती” कहा गया था, लेकिन बाद में यही क्षेत्र अमेरिका के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से बेहद लाभदायक साबित हुआ।
- “अलास्का के इतिहास की वजह से पुतिन की यहाँ मौजूदगी को बहुत खास माना गया।”
- विशेषज्ञों का मानना है कि अलास्का में मुलाक़ात कर दोनों देशों ने इतिहास और वर्तमान कूटनीति को जोड़ने की कोशिश की।
आगे की राह
- डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे जल्द ही यूरोपीय नेताओं और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाक़ात करेंगे।
- संभावना है कि आने वाले हफ्तों में अमेरिका–रूस–यूक्रेन त्रिपक्षीय बैठक का आयोजन हो सकता है।
- फिलहाल, इस बैठक से कोई ठोस समाधान तो नहीं निकला, लेकिन भविष्य की बातचीत का रास्ता ज़रूर खुला है।
निष्कर्ष
अलास्का में हुई ट्रंप–पुतिन मुलाक़ात से कोई बड़ा समझौता तो नहीं हुआ, लेकिन इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, नेताओं की आपसी “गर्मजोशी” और भविष्य की संभावनाओं ने इसे खास बना दिया। अब दुनिया की निगाहें इस पर हैं कि आने वाले दिनों में क्या यह बातचीत सच में शांति लाएगी या फिर केवल कूटनीतिक औपचारिकताओं तक सीमित रह जाएगी।