स्वर्णिम चतुर्भुज से लेकर ग्राम सड़क योजना तक, अटल जी के फैसलों ने देश को बदल दिया!
अटल बिहारी वाजपेयी का शासनकाल: जिन योजनाओं ने आधुनिक भारत की नींव रखी
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कार्यकाल (1998–2004) देश के आर्थिक, बुनियादी ढांचे और रणनीतिक विकास के लिए एक निर्णायक दौर माना जाता है। उनके नेतृत्व में कई ऐसी योजनाएँ और नीतियाँ शुरू की गईं, जिनका प्रभाव आज भी भारत की विकास यात्रा में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
अटल जी के शासनकाल की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) शामिल रही। इसी के अंतर्गत स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (Golden Quadrilateral) की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को उच्च गुणवत्ता वाले राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ना था। आज यह नेटवर्क देश की सड़क परिवहन व्यवस्था की रीढ़ बन चुका है और व्यापार व औद्योगिक विकास में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
ग्रामीण भारत को जोड़ने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) की शुरुआत की। यह योजना आज भी केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जा रही है और इसके तहत लाखों किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई जा चुकी हैं। इससे गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और कृषि बाजारों तक पहुंच आसान हुई है।

गरीबों की खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अटल सरकार ने वर्ष 2000 में अंत्योदय अन्न योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत सबसे गरीब परिवारों को रियायती दरों पर अनाज उपलब्ध कराया गया। यह योजना आज भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का हिस्सा है और करोड़ों जरूरतमंद परिवारों को लाभ पहुंचा रही है।
तकनीकी और संचार क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए नई दूरसंचार नीति, 1999 (NTP-1999) लागू की गई। इसी नीति के कारण मोबाइल फोन सेवाओं का विस्तार हुआ और कॉल दरों में भारी गिरावट आई। आज भारत की डिजिटल और टेलीकॉम क्रांति की नींव इसी नीति को माना जाता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान पोखरण-II परमाणु परीक्षण (1998) किया गया, जिससे भारत विश्व की प्रमुख परमाणु शक्तियों में शामिल हुआ। यह फैसला भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना।
अटल बिहारी वाजपेयी का शासनकाल दूरदर्शी नीतियों, संतुलित विकास और मजबूत नेतृत्व का ऐसा अध्याय रहा, जिसकी योजनाएँ आज भी देश की प्रगति में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

आशुतोष झा पत्रकारिता के क्षेत्र में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे हिंदी माइक में कंसल्टिंग एडिटर के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें समसामयिक घटनाएँ, राजनीति एवं विदेश मामलों की गहरी समझ है तथा ग्राउंड रिपोर्टिंग में भी उनका अनुभव अत्यंत व्यापक है।
ज्वाइनिंग डेट: 16 अगस्त 2025

