भारत-चीन संबंधों पर मोदी-जिनपिंग की अहम बातचीत


“वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत-चीन ने रिश्तों को साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ाने पर जोर दिया”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तियानजिन में हुई द्विपक्षीय मुलाकात भारत-चीन रिश्तों में नई दिशा देने वाली साबित हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि भारत और चीन विकास सहयोगी हैं, प्रतिस्पर्धी नहीं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मतभेदों को किसी भी हाल में विवाद या टकराव का रूप नहीं लेना चाहिए।
वैश्विक अस्थिरता के बीच साझा भूमिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ से बनी वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच मोदी और जिनपिंग ने माना कि भारत और चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था और व्यापार संतुलन को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। दोनों देशों की विशाल जनसंख्या और बाज़ार क्षमता वैश्विक व्यापार के लिए मजबूत आधार प्रदान करती है।
व्यापार और निवेश को नई दिशा
बैठक में आपसी व्यापार और निवेश सहयोग को मज़बूत करने पर चर्चा हुई।
- दोनों नेताओं ने कहा कि व्यापार घाटा कम करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
- साथ ही रिश्तों को दीर्घकालिक राजनीतिक और रणनीतिक दिशा देने की आवश्यकता पर भी सहमति बनी।
रिश्तों में सकारात्मक प्रगति
विदेश मंत्रालय (MEA) ने बताया कि अक्टूबर 2024 में कज़ान में हुई पिछली बैठक के बाद से भारत और चीन के बीच कई मुद्दों पर ठोस और सकारात्मक प्रगति हुई है।
दोनों नेताओं ने इस बात पर संतोष जताया कि लगातार संवाद और सहयोग से रिश्तों में विश्वास और स्थिरता बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि 2.8 अरब की जनसंख्या वाले भारत और चीन अगर साथ मिलकर काम करें तो यह न केवल दोनों देशों के विकास के लिए अहम होगा बल्कि पूरी एशिया की ताकत को नई दिशा देगा। यह सहयोग 21वीं सदी में बहुध्रुवीय (multipolar) एशिया और संतुलित विश्व व्यवस्था की आवश्यकता को भी पूरा करता है।सीमा पर शांति सर्वोपरि
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता ही आपसी संबंधों की बुनियाद है।
- दोनों देशों ने पिछले वर्ष हुई डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया और उसके बाद बनी स्थिर स्थिति का स्वागत किया।
- साथ ही, सीमा विवाद का “न्यायसंगत, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान” निकालने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
लोगों से लोगों का जुड़ाव
मुलाकात में सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा हुई।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और पर्यटन वीज़ा की पुनः शुरुआत का स्वागत किया गया।
- दोनों देशों ने सीधी उड़ानों और वीज़ा सुविधा बढ़ाने पर भी सहमति जताई।
क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग
मोदी और जिनपिंग ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारत और चीन दोनों रणनीतिक स्वायत्तता अपनाते हैं और उनके रिश्तों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। वैश्विक स्तर पर आतंकवाद और निष्पक्ष व्यापार जैसे मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
कुल मिलाकर, तियानजिन में हुई इस मुलाकात से यह संदेश साफ निकला कि भारत और चीन अपने रिश्तों को नए आयाम देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों देशों ने यह दोहराया कि वे विकास के रास्ते पर साझेदार हैं और शांति, सहयोग तथा स्थिरता ही आने वाले समय में रिश्तों की असली दिशा तय करेगी।