Hobosexuality Trend: प्यार या किराया बचाने का नया तरीका?


बड़े शहरों में बढ़ते किरायों और अकेलेपन ने जन्म दिया है Hobosexuality जैसे रिश्ते का ट्रेंड, जहां प्यार से ज़्यादा मकसद है छत और सुविधाओं का जुगाड़।
आज की मॉडर्न लाइफस्टाइल में रिश्तों का मतलब तेजी से बदल रहा है। डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया ने जहां रिश्तों को आसान बनाया है, वहीं एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है—“Hobosexuality”। नाम थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन असलियत और भी दिलचस्प (और कहीं-कहीं चौंकाने वाली) है।
क्या है Hobosexuality?
Hobosexuality का मतलब है जब कोई इंसान रिश्ते में दिल से नहीं, बल्कि घर के किराये और खर्चों से बचने के लिए आता है। यानी ऊपर से रिश्ता लगेगा रोमांस और इमोशन से भरा, लेकिन असली वजह होती है—फ्री में छत, आराम और सारी सुविधाओं का मज़ा लेना।

भारत में क्यों बढ़ रहा है यह ट्रेंड?
अमेरिका और यूरोप से शुरू हुआ यह ट्रेंड अब धीरे-धीरे भारतीय शहरों में भी दिखने लगा है।
खासकर मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे मेट्रो सिटीज़ में। वजह साफ है:
- बड़े शहरों में घरों की कीमतें और किराये इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि आम लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं।
- बड़े शहरों में 1BHK किराए पर लेना आसान नहीं, क्योंकि इसका खर्चा ₹35,000 से लेकर ₹50,000 तक जा सकता है।
- Deloitte रिपोर्ट बताती है कि शहरी युवाओं की आधी कमाई तो महंगे किरायों की भेंट चढ़ जाती है।
- इसके ऊपर अकेलेपन और जल्दी ‘सेटल’ होने का दबाव युवाओं को जल्दबाज़ी में रिश्ते चुनने पर मजबूर करता है।
ऐसे रिश्तों का असर
- एक पार्टनर सारा खर्च उठाता है, जिससे उसकी सेविंग और भविष्य दोनों डगमगा जाते हैं।
- जिम्मेदारियां बराबर न होने पर रिश्ते में झगड़े, नाराज़गी और थकान बढ़ती है।
- जो खर्च करता है, वही फैसलों पर हावी हो जाता है, और दूसरा साथी भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है।
कैसे पहचानें Hobosexual रिश्ता?
- आपका पार्टनर आर्थिक योगदान न के बराबर करता हो।
- किराया, बिल या घर के खर्च से बचने की कोशिश करता हो।
- आपके व्यक्तित्व से ज्यादा आपकी प्रॉपर्टी या आर्थिक स्थिति में रुचि लेता हो।
- ज़रूरत पड़ने पर सपोर्ट न करे।
- शुरुआत में बहुत प्यार जताए लेकिन धीरे-धीरे जिम्मेदारियों से किनारा कर ले।
इससे बचने के उपाय
- रिश्ते की शुरुआत में ही पैसों और घरेलू जिम्मेदारियों पर खुलकर बात करें।
- स्वस्थ रिश्ता वही है जिसमें दोनों बराबर योगदान दें।
- अगर रिश्ता एकतरफा लगने लगे, तो सीमाएं तय करना ज़रूरी है।
- आर्थिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनें, ताकि आपको किसी रिश्ते में मजबूरी न लगे।
संक्षेप में, Hobosexuality हमें यह सिखाता है कि हर रिश्ते की नींव केवल प्यार ही नहीं, बल्कि बराबरी की जिम्मेदारी भी होनी चाहिए। वरना यह ट्रेंड रिश्ते को प्यार से ज़्यादा “रहने की जगह का सौदा” बना सकता है।