मोदी बोले: लोगों का खोया पैसा लौटाना सरकार की बड़ी प्राथमिकता
PM मोदी ने बताया—500 जिलों में लगे विशेष कैंप, हजारों करोड़ रुपये असली मालिकों को लौटे।
नई दिल्ली: हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जमा लोगों की अनक्लेम्ड धनराशि और मानसिक गुलामी से मुक्ति पर सरकार के प्रयासों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेक्टर और इंश्योरेंस कंपनियों में भारतीय नागरिकों की बड़ी मात्रा में धनराशि ऐसी पड़ी है, जिसका वर्षों से कोई दावेदार सामने नहीं आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि
“आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि देश के बैंकों में करीब 78,000 करोड़ रुपये अब भी अनक्लेम्ड पड़े हैं। यही नहीं, लगभग 14,000 करोड़ रुपये इंश्योरेंस कंपनियों के पास भी बिना दावेदार के पड़े हैं। यह पैसा गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों का है और हमारी सरकार इसे उसके वास्तविक हकदार तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने बताया कि सरकार देशभर में विशेष कैंप आयोजित कर रही है, ताकि परिवारों को उनकी लंबित राशि वापस दी जा सके। अब तक लगभग 500 जिलों में ऐसे कैंप लगाए जा चुके हैं, जिनमें हजारों करोड़ रुपये वास्तविक लाभार्थियों को लौटाए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल वित्तीय सुधार नहीं, बल्कि विश्वास बहाली का प्रयास है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जनता का भरोसा सरकार की सबसे बड़ी पूंजी है और इसे मजबूत करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
“मैकॉले मानसिकता से मुक्ति के लिए अगले 10 वर्ष निर्णायक”
समिट में प्रधानमंत्री ने देश को ‘मैकॉले की मानसिकता’ से मुक्त करने की अपील भी दोहराई। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ों के समय लागू की गई वह नीति, जिसने भारतीयों में मानसिक गुलामी की बुनियाद रखी, वर्ष 2035 में 200 वर्ष पूरी कर लेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि
“अगले दस साल हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। हमें मिलकर इस मानसिकता को पूरी तरह खत्म करना होगा। मैं अकेला यह काम नहीं कर सकता, इसके लिए देशवासियों का सहयोग जरूरी है।”
उन्होंने कहा कि आने वाले दशक को देश को सांस्कृतिक, शैक्षिक और वैचारिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की ठोस समयसीमा के रूप में देखा जाना चाहिए।
समिट में PM मोदी के इन बयानों को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह सरकार की दीर्घकालिक नीति और जनविश्वास पर केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाता है।

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संजना झा पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव रखती हैं। वर्तमान में वह हिंदी माइक में बतौर असिस्टेंट एडिटर कार्यरत हैं। उन्हें समसामयिक घटनाएँ, राजनीति एवं लाइफस्टाइल जैसे विषयों में गहरी समझ और लेखन का व्यापक अनुभव प्राप्त है। अपनी खोजपरक दृष्टि, तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विषयों की गहराई तक पहुंचने की शैली के लिए वह जानी जाती हैं।
ज्वाइनिंग डेट: 16 अगस्त 2025

