पूजा पाल का लेटर बम! अखिलेश यादव पर लगाए चौंकाने वाले आरोप


समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक ने खत में जताई हत्या की आशंका, पार्टी प्रमुख को ठहराया जिम्मेदार।
समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद चायल की विधायक पूजा पाल ने शुक्रवार को सनसनीखेज आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि पार्टी के “अपराधिक मानसिकता वाले कार्यकर्ताओं” से उन्हें जान का खतरा है। पूजा पाल ने कहा कि अगर उनके साथ कुछ अनहोनी होती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की होगी।
अखिलेश यादव को लिखी चिट्ठी
पूजा पाल ने SP अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक कड़ा पत्र लिखा और उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया। पत्र में उन्होंने लिखा कि पार्टी कार्यकर्ताओं से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने आशंका जताई कि कहीं उन्हें भी उनके पति की तरह सार्वजनिक रूप से गोली न मार दी जाए।
चिट्ठी में उन्होंने लिखा –
“आपने मुझे अपमानित कर अकेला छोड़ दिया है। इससे पार्टी के आपराधिक मानसिकता वाले कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा है। संभव है कि मेरी हत्या हो जाए। अगर ऐसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव की होगी।”
बहिष्कार और विवाद
दरअसल, 14 अगस्त 2025 को पूजा पाल को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया गया था। पूजा पाल पर आरोप था कि उन्होंने विधानसभा के मानसून सत्र में सीएम योगी आदित्यनाथ की कानून-व्यवस्था की तारीफ की थी। इसके साथ ही, उन्होंने 2024 के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवारों को वोट दिया था। इसी वजह से पार्टी ने उन्हें निकालने का फैसला लिया।
पूरा मामला और दावे
पूजा पाल तीन बार की विधायक हैं और दिवंगत बसपा विधायक राजू पाल की विधवा हैं। राजू पाल की 2005 में प्रयागराज में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। तब से लेकर अब तक पूजा पाल लगातार न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इतने वर्षों की संघर्ष यात्रा के बाद भी समाजवादी पार्टी नेतृत्व ने न सिर्फ उन्हें अपमानित किया बल्कि मुश्किल वक्त में उनका साथ भी छोड़ दिया।

निष्कासन के बाद पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस मुलाकात ने यूपी की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। माना जा रहा है कि पार्टी से बाहर किए जाने के बाद पूजा पाल अब भाजपा के नज़दीक आ सकती हैं। हालांकि, इस मुलाकात को लेकर अभी तक न तो भाजपा और न ही पूजा पाल की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने आया है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस पर तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं।