SCO समिट: मोदी-पुतिन साझेदारी और S-400 की भूमिका


तियानजिन में SCO बैठक में भारत-रूस-चीन की मित्रता पर जोर, पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ऑपरेशन सिंदूर में S-400 ने दिखाई शक्ति
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन – तियानजिन
सोमवार को तियानजिन (चीन) में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हल्के-फुल्के पलों को साझा करते और हाथों में हाथ डालकर चलते हुए नज़र आए। इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ भी मौजूद थे, जिन्होंने देखा कि जब नेता ग्रुप फोटो सेशन के लिए जा रहे थे, तब मोदी और पुतिन साथ-साथ बातचीत कर रहे थे।

प्रधानमंत्री मोदी, पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी हंसते हुए और आपस में सौहार्दपूर्ण बातचीत करते हुए देखा गया। इससे इन तीनों नेताओं के बीच की नज़दीकी साफ झलक रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा कि तियानजिन में संवाद जारी है और SCO शिखर सम्मेलन के दौरान उनकी राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ सार्थक बातचीत हुई।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री मोदी आज बाद में SCO प्रमुखों की परिषद के 25वें शिखर सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करेंगे। इसमें वे SCO के तहत क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत बनाने के भारत के दृष्टिकोण को सामने रखेंगे। इसके बाद उनकी पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात में दोनों नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि भारत और चीन को एक-दूसरे का प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि विकास का साझीदार माना जाना चाहिए। बैठक में सीमा पर शांति बनाए रखने, सीमा विवाद का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बहाल करने पर सहमति बनी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी को 2026 में भारत में आयोजित होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में शामिल होने का आमंत्रण भी दिया।
एक अन्य बैठक में मोदी ने शी जिनपिंग के करीबी सहयोगी काई ची से मुलाकात की और भारत-चीन संबंधों को लेकर अपना विज़न साझा किया। काई ने भी चीन की ओर से रिश्ते मज़बूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
इस बार समय की कमी के चलते निर्धारित भोज (banquet) की जगह केवल संक्षिप्त मुलाकात हुई।
वर्तमान में SCO के 10 सदस्य देश हैं और भारत 2017 में पूर्ण सदस्य बना था।
ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की अहम भूमिका
इस बीच, भारतीय वायुसेना ने खुलासा किया कि रूस से मिले S-400 “सुदर्शन चक्र” मिसाइल रक्षा प्रणाली ने 7-8 मई की रात हुए “ऑपरेशन सिंदूर” में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ निर्णायक भूमिका निभाई।
- पाकिस्तान ने उस रात 15 भारतीय शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले करने की कोशिश की।
- भारतीय वायुसेना ने S-400 और एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से सभी ख़तरों को नाकाम कर दिया।
- हमले के सबूत के तौर पर कई जगहों से पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल के मलबे भी बरामद हुए।
S-400 प्रणाली की क्षमताएँ:
- 400 किलोमीटर दूर तक लक्ष्य को मार गिराने में सक्षम।
- 600 किलोमीटर दूर तक ख़तरे को पहचान सकता है।
- 100 से अधिक लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक करने और ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल तक को नष्ट करने में सक्षम।
भारत ने साल 2018 में रूस के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके अंतर्गत 5 उन्नत S-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ प्राप्त करने पर सहमति बनी। करीब 5.43 अरब डॉलर की इस डील के बाद भारत को मिली पहली S-400 प्रणाली वर्ष 2021 में पंजाब में तैनात की गई। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस अत्याधुनिक तकनीक ने न केवल भारत की हवाई सुरक्षा को और मज़बूत बनाया है, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर उसकी सामरिक ताकत को भी बढ़ाया है।
मई में हुए हमले को लेकर भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया को संयमित और सीमित बताया। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि कार्रवाई का उद्देश्य किसी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को नुकसान पहुँचाना नहीं था। हालांकि, जब पाकिस्तान ने बुधवार को आक्रामकता बढ़ाई, तो भारतीय सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए उसके कई वायु रक्षा ठिकानों को ध्वस्त कर दिया, जिनमें लाहौर स्थित एक प्रणाली भी शामिल थी।