SIR पर विवाद बेबुनियाद: केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल का विपक्ष पर हमला

इटावा में केंद्रीय मंत्री बघेल ने कहा—SIR नियमित प्रक्रिया है, इसे विवाद बनाना गलत।

इटावा में केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने शनिवार को SIR (Special Summary Revision) को लेकर उठ रहे राजनीतिक विवादों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक सम्मानित और संवैधानिक संस्था है, जिसकी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर अविश्वास जताने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने साफ कहा कि SIR कोई नई प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समय-समय पर नियमित रूप से होने वाला अभियान है जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना है।

बघेल ने विपक्ष पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “जो लोग विदेशी घुसपैठियों को भारत का मतदाता बनाना चाहते हैं, उन्हें ही SIR से समस्या है।” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल SIR को लेकर बेवजह भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि यह प्रक्रिया हर राज्य में, हर चुनाव से पहले या बाद में नियमित रूप से संचालित की जाती है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भी SIR किया गया था। तब विपक्ष ने इसे चुनावी मुद्दा बनाकर खूब हंगामा किया, लेकिन चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया कि यह विरोध बेबुनियाद था। बघेल का कहना था कि SIR केवल वोटर लिस्ट को शुद्ध करने और फर्जी या दोहरे नाम हटाने का कार्य है, जिसे सभी राजनीतिक दलों को समर्थन देना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग पर सवाल उठाना और SIR को विवादित बनाना लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने जैसा है। उन्होंने कहा, “भारत की चुनाव प्रक्रिया दुनिया में सबसे विश्वसनीय मानी जाती है। ऐसे में बिना कारण इसे कटघरे में खड़ा करने की कोशिश गलत है।”

बघेल ने अपील की कि किसी भी राजनीतिक दल को SIR को बहाना बनाकर जनता में गलत संदेश नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विरोध सिर्फ वही करते हैं जिनकी राजनीति फर्जी वोटरों पर निर्भर रही है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि SIR को मुद्दा बनाने का कोई औचित्य नहीं है और सभी दलों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति सम्मान बनाए रखना चाहिए।

इटावा में दिए गए उनके इस बयान को 2025 के राजनीतिक माहौल में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि देश के कई राज्यों में चुनावी गतिविधियाँ तेज हो रही हैं और वोटर लिस्ट को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी बढ़ गई है।

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