विजयादशमी पर RSS की स्थापना और स्वदेशी पर प्रधानमंत्री का संदेश

स्वयंसेवकों ने समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में दिया योगदान, पीएम ने खादी और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने पर जोर दिया

आज से 100 साल पहले, विजयादशमी के दिन समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना हुई थी। प्रधानमंत्री के संदेश के अनुसार, यह एक ऐसा प्रयास था जो हर भारतीय को अपने देश के लिए योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। लंबे समय के दौरान असंख्य स्वयंसेवकों ने इस संकल्प को साकार करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनके अथक प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव आए और राष्ट्र निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाए गए।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर खादी और स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को खादी खरीदना न केवल परंपरा है, बल्कि यह देश की आत्मनिर्भरता और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने का माध्यम भी है। स्वदेशी कपड़ों और उत्पादों को अपनाने से न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि यह कारीगरों और छोटे उद्योगों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।

RSS के स्वयंसेवकों ने पिछले सौ वर्षों में समाज सेवा के कई क्षेत्र में योगदान दिया। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और आपदा राहत में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने यह दिखाया कि राष्ट्र निर्माण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। प्रधानमंत्री के शब्दों के अनुसार, ऐसे प्रयास देश को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करते हैं।

विजयादशमी का दिन न केवल उत्सव का प्रतीक है, बल्कि यह याद दिलाता है कि समाज सेवा और देशभक्ति में निरंतर योगदान देना आवश्यक है। स्वयंसेवकों का समर्पण और अनुशासन हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह दिन हमें यह सोचने के लिए भी प्रेरित करता है कि हम अपने स्तर पर राष्ट्र निर्माण में कैसे योगदान दे सकते हैं।

कुल मिलाकर, विजयादशमी के अवसर पर हमें यह समझना चाहिए कि देशभक्ति केवल शब्दों में नहीं बल्कि कर्मों में भी दिखनी चाहिए। स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर और समाज सेवा में सक्रिय होकर हम अपने देश को सशक्त, विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में योगदान दे सकते हैं।

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