बिहार में नई सरकार बनी, पर बड़ा पेंच कायम – गृह मंत्रालय किसे मिलेगा?
नीतीश–बीजेपी के बीच गृह मंत्रालय पर खींचतान तेज, अंतिम फैसला अभी अधर में
बिहार में सरकार तो बन गई है, लेकिन सारा रोमांच अभी भी खत्म नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को मिल चुकी है, लेकिन असली खींचतान अब सामने आई है—गृह मंत्रालय कौन संभालेगा? चुनाव से पहले कई बार तनातनी हुई, फिर भी बीजेपी ने नीतीश को सपोर्ट देकर बात खत्म कर दी। लेकिन अब बीजेपी चाहती है कि बदले में नीतीश भी एक बड़ा फैसला करें।
गृह मंत्रालय पर अटका पूरा खेल
पिछले कई सालों से नीतीश कुमार गृह विभाग अपने पास ही रखते आए हैं। कानून-व्यवस्था, पुलिस, प्रशासन—सब कुछ इस मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यही कारण है कि वे इसे सबसे अहम दायित्व मानते हैं। लेकिन इस बार बीजेपी साफ कर चुकी है कि गृह विभाग उनके खाते में जाना चाहिए।
स्पीकर बीजेपी को, डिप्टी स्पीकर जेडीयू को—ये दोनों बातें लगभग तय हो चुकी हैं। पर गृह मंत्रालय पर दोनों दलों की पकड़ अभी ढीली नहीं पड़ रही।
क्यों बढ़ रहा है सम्राट चौधरी का नाम?
बीजेपी के दो डिप्टी सीएम हैं, जिनमें वरिष्ठ सम्राट चौधरी हैं। वे विधायक दल के नेता भी हैं। ऐसे में पार्टी चाहती है कि गृह विभाग उन्हें दिया जाए। लेकिन इसी प्रस्ताव से विवाद के बादल मंडराने लगे हैं।
विपक्ष और जन सुराज के प्रशांत किशोर पहले ही सम्राट चौधरी पर कई पुराने मामले उठाते रहे हैं—जन्मतिथि की गड़बड़ी हो या अन्य आरोप, चुनाव से पहले इन मुद्दों पर खूब बहस हुई। अगर उन्हें गृह मंत्री बनाया गया तो सवाल और तेज उठेंगे, और नीतीश कुमार की छवि पर भी असर पड़ेगा।
दिल्ली और पटना में बैठकों की लंबी कड़ी
शपथग्रहण से पहले दिल्ली में अमित शाह के साथ करीब तीन घंटे बैठक चली।
नीतीश की ओर से ललन सिंह और संजय झा शामिल थे।
मंत्रियों की सूची लगभग तय हो गई—बस गृह मंत्रालय पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई।
उधर पटना में भी नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी की बंद कमरे में 50 मिनट की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक सम्राट अपनी विभागों की सूची लेकर आए थे, जिसे नीतीश को सौंप दिया गया।
महाराष्ट्र वाला केस दोहराने की कोशिश
कुछ लोग इसे महाराष्ट्र की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। वहां भी गृह विभाग को लेकर लंबा ड्रामा चला था। बीजेपी चाहती थी कि गृह मंत्रालय उनके पास ही रहे, भले मुख्यमंत्री कोई और बन जाए। बिहार में भी तस्वीर कुछ वैसी ही बनती दिख रही है।

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संजना झा पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव रखती हैं। वर्तमान में वह हिंदी माइक में बतौर असिस्टेंट एडिटर कार्यरत हैं। उन्हें समसामयिक घटनाएँ, राजनीति एवं लाइफस्टाइल जैसे विषयों में गहरी समझ और लेखन का व्यापक अनुभव प्राप्त है। अपनी खोजपरक दृष्टि, तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विषयों की गहराई तक पहुंचने की शैली के लिए वह जानी जाती हैं।
ज्वाइनिंग डेट: 16 अगस्त 2025

