ट्रंप की पहल से बने तीन बड़े सीजफायर अब गंभीर संकट में फंसे
थाईलैंड-कंबोडिया, गाजा और यूक्रेन में लड़ाई रुकी पर शांति नहीं; मदद और बातचीत ठप
दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध भले धीमे पड़े हों, लेकिन शांति अब भी दूर है। कई जगह सीजफायर का ऐलान तो हुआ, लेकिन जमीनी हालात सुधर नहीं रहे। तीन बड़े संघर्ष—थाईलैंड-कंबोडिया बॉर्डर, गाजा और यूक्रेन—आज भी उसी जगह अटके हैं जहाँ उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल से रोका गया था। न लड़ाई थमी, न मदद पहुँच पा रही, और न बातचीत आगे बढ़ रही है।
थाईलैंड-कंबोडिया: ट्रंप का सीजफायर, लेकिन हालात फिर बिगड़े
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बॉर्डर विवाद पुराना है। 2025 की शुरुआत में ट्रंप की मध्यस्थता से मलेशिया में बातचीत हुई और दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई। कुछ समय तक स्थिति शांत रही, लेकिन दिसंबर तक फिर झड़पें शुरू हो गईं।
थाईलैंड का आरोप है कि कंबोडिया ने उसके इलाके में घुसकर हमला किया, जबकि कंबोडिया दावा करता है कि थाईलैंड ने बॉर्डर पर कांटेदार तार लगाकर उसके सैनिकों को पकड़ा। दिसंबर की झड़पों में कई लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक समझौता सिर्फ कागजों पर रहा; जमीन पर असली विवाद जस का तस है।
गाजा: बंधक, मदद और बॉर्डर—सब अटका, सीजफायर अधर में
इजरायल-हमास युद्ध दो साल से ज्यादा चला। अक्टूबर 2025 में ट्रंप की पहल के बाद सीजफायर हुआ और शुरुआती चरण में बंधकों की रिहाई भी हुई। लेकिन एक महीने से ज्यादा समय से बातचीत आगे नहीं बढ़ी।
इजरायल कहता है कि हमास सभी बंधकों के शव नहीं दे रहा। हमास का आरोप है कि इजरायल मानवीय सहायता रोक रहा है और राफा बॉर्डर पूरी तरह नहीं खोल रहा। दिसंबर में इजरायली ड्रोन हमलों में कई लोग मारे गए, जिनमें बच्चे भी शामिल थे।
कतर के प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अभी पूरा सीजफायर नहीं, सिर्फ एक “पॉज” है। मदद के ट्रक कम हो रहे हैं, लोग भूखे हैं और ट्रंप का स्थायी शांति वाला प्लान फिलहाल रुक गया है।
यूक्रेन: बातचीत जारी, लेकिन स्थायी सीजफायर अब भी दूर
रूस-यूक्रेन युद्ध तीन साल पार कर चुका है। ट्रंप ने सत्ता संभालते ही शांति वार्ता आगे बढ़ाई। उनके दूत स्टीव विटकॉफ और जेरेड कुश्नर दिसंबर में मॉस्को गए, लेकिन पुतिन ने अमेरिकी प्रस्ताव को कई बिंदुओं पर अस्वीकार कर दिया।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की कहते हैं कि सीजफायर ऐसा होना चाहिए जिसमें रूस को दोबारा हमला करने का मौका न मिले। रूस कब्जाए गए इलाकों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं, जबकि यूक्रेन सुरक्षा गारंटी चाहता है। मियामी और इस्तांबुल में बातचीत जारी है, लेकिन प्रगति नहीं। वहीं रूस हमले जारी रखे हुए है और डोनबास पर कब्जा करने की धमकी दे रहा है।
यूरोपीय देशों का कहना है कि ट्रंप का प्लान रूस के पक्ष में ज्यादा झुका हुआ है।
तीनों सीजफायर क्यों अटके?
तीनों मामलों में एक बात समान है—सीजफायर तो हो जाता है, लेकिन लंबे समय की शांति के लिए जरूरी राजनीतिक समाधान नहीं होते।
- थाईलैंड-कंबोडिया: पुराना बॉर्डर विवाद जस का तस
- गाजा: बंधक, मदद और सैन्य वापसी पर टकराव
- यूक्रेन: नियंत्रण वाले इलाके और सुरक्षा गारंटी पर मतभेद
विशेषज्ञ कहते हैं कि बिना मजबूत अंतरराष्ट्रीय दबाव और दोनों पक्षों की ईमानदारी के ये सीजफायर सिर्फ अस्थायी विराम बनकर रह जाते हैं। लाखों लोग भूख, लड़ाई और अनिश्चितता से पीड़ित हैं। दुनिया उम्मीद कर रही है कि 2026 की शुरुआत में कोई हल निकले, लेकिन फिलहाल हालात जमे हुए हैं।

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संजना झा पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव रखती हैं। वर्तमान में वह हिंदी माइक में बतौर असिस्टेंट एडिटर कार्यरत हैं। उन्हें समसामयिक घटनाएँ, राजनीति एवं लाइफस्टाइल जैसे विषयों में गहरी समझ और लेखन का व्यापक अनुभव प्राप्त है। अपनी खोजपरक दृष्टि, तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विषयों की गहराई तक पहुंचने की शैली के लिए वह जानी जाती हैं।
ज्वाइनिंग डेट: 16 अगस्त 2025

