सबरीमला मंदिर में सोने का विवाद: मंत्री इस्तीफे की मांग तेज
केरल उच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल गठित किया, 6 सप्ताह में जांच पूरी होगी
केरल के सबरीमला मंदिर में सोने की पैनलों से जुड़े विवाद ने राज्य में राजनीति और प्रशासन दोनों को हिला दिया है। कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने देवस्वम बोर्ड के मंत्री वी.एन. वासवन से इस्तीफे की मांग की और लगातार दूसरे दिन विधानसभा की कार्यवाही को बाधित कर दिया। प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे और तख्तियां उठाकर प्रदर्शन किया। विपक्षी नेता वी.डी. सतीसन ने कहा कि मंत्री इस्तीफा नहीं देंगे, तो सदन की कार्रवाई स्थगित रहेगी।
उच्च न्यायालय ने दी जांच का आदेश
केरल उच्च न्यायालय ने मंदिर की द्वारपालक मूर्तियों में लगे सोने और तांबे के आवरण की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है। SIT की अध्यक्षता एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) एच. वेंकटेश करेंगे। जांच त्रिशूर के केईपीए के सहायक निदेशक एस. शशिधरन, IPS की निगरानी में छह सप्ताह के भीतर पूरी की जाएगी।
विवाद की पृष्ठभूमि
मंदिर के गर्भगृह के बाहर लगे द्वारपालक मूर्तियों पर सोने की परत चढ़ी तांबे की शीटें थीं। आरोप है कि देवस्वम बोर्ड ने इन्हें मरम्मत के लिए प्रायोजक उन्नीकृष्णन पोट्टी को सौंपा। 2019 में पहली मरम्मत के बाद पैनलों का कुल वजन 38.258 किलो था, लेकिन इसमें 4.541 किलो की कमी देखी गई। सितंबर 2025 में फिर से मरम्मत के लिए पैनल हटाए गए, हालांकि इस बार न्यायालय की अनुमति नहीं ली गई।
जांच के दौरान सामने आए तथ्य
जांच के दौरान पोट्टी की बहन के घर से दो पेडस्टल बरामद किए गए। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि पैनल सीधे पोट्टी को नहीं दिए गए। कुल 14 स्वर्ण-प्लेटेड पैनलों में से 12 पैनल मरम्मत के लिए भेजे गए और उच्च न्यायालय के निर्देश पर सभी पैनल मंदिर को लौटाए गए। वर्तमान में मंदिर में कुल सोने की मात्रा 407 ग्राम पाई गई।
बोर्ड का बयान
देवस्वम बोर्ड ने कहा कि 2019 की मरम्मत के समय प्रायोजक ने 40 साल की वारंटी दी थी। इसलिए 2025 में भी वही प्रायोजक चुना गया। बोर्ड ने साफ किया कि सभी चोरी के आरोप गलत और भ्रामक हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस घटना ने मंदिर प्रशासन के साथ-साथ राज्य की राजनीति में भी हलचल पैदा की है। विपक्ष का कहना है कि मंत्री वासवन को इस्तीफा देना चाहिए। वहीं बोर्ड ने कहा कि जांच में पूरी तरह सहयोग किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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संजना झा पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव रखती हैं। वर्तमान में वह हिंदी माइक में बतौर असिस्टेंट एडिटर कार्यरत हैं। उन्हें समसामयिक घटनाएँ, राजनीति एवं लाइफस्टाइल जैसे विषयों में गहरी समझ और लेखन का व्यापक अनुभव प्राप्त है। अपनी खोजपरक दृष्टि, तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विषयों की गहराई तक पहुंचने की शैली के लिए वह जानी जाती हैं।
ज्वाइनिंग डेट: 16 अगस्त 2025

