आर्य समाज के 150 वर्ष: पीएम मोदी बोले—यह वैदिक पहचान का उत्सव है

नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय आर्य सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा—आर्य समाज ने समाज सुधार और आज़ादी की लड़ाई में दी वैचारिक ऊर्जा।

नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आर्य सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह अवसर केवल किसी समाज या संप्रदाय से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत की वैदिक पहचान और गौरव से गहराई से संबंधित है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “आर्य समाज की स्थापना केवल एक धार्मिक आंदोलन नहीं थी, बल्कि यह भारत की सामाजिक जागृति का एक बड़ा अभियान था। इसने अंधविश्वास, भेदभाव और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ समाज को जागरूक किया।” उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज को ‘सत्य की ओर लौटने’ का संदेश दिया और वैदिक परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ने का काम किया।

मोदी ने बताया कि आर्य समाज ने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और समानता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि जब देश में बाल विवाह, छुआछूत और जातिगत भेदभाव जैसी समस्याएं गहरी जड़ें जमा चुकी थीं, तब आर्य समाज ने समाज में सुधार और बदलाव का संदेश दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को वैचारिक शक्ति दी। लाला लाजपत राय, स्वामी श्रद्धानंद जैसे महान नेताओं ने आर्य समाज के आदर्शों को अपनाकर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत अमृतकाल में है और इस दौर में आर्य समाज के सिद्धांत और मूल्य — सत्य, शिक्षा और सेवा — देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में मदद करेंगे।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आर्य समाज ने भारत की एकता और अखंडता को मजबूत किया है। उन्होंने समाज के सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने वैदिक आदर्शों को आज के युग की चुनौतियों के अनुसार आगे बढ़ाएं और समाज में जागरूकता फैलाएं।

कार्यक्रम में देश-विदेश से आए आर्य समाज के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने आर्य समाज के ऐतिहासिक योगदान को नमन करते हुए कहा कि, “यह समारोह भारत की आत्मा और उसकी वैदिक परंपरा के प्रति समर्पण का प्रतीक है।”

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